Biography on gandhi ji story in hindi

महात्मा गांधी की जीवनी, निबंध, मोहनदास करमचंद गांधी का जीवन परिचय माता, पत्नी, बेटा -बेटी,हत्यारे का नाम, जन्म- मृत्यु, आंदोलनों के नाम की लिस्ट, सुचि (Mahatma Gandhi Biography (Jivani) jivan Parichay story itihas history In Hindi) 

जब भी हम अपने देश भारत के इतिहास की बात करते हैं, तो स्वतंत्रता संग्राम की बात जरुर होती हैं और इस स्वतंत्रता संग्राम में किन – किन सैनानियों ने अपना योगदान दिया, उन पर भी अवश्य चर्चाएँ होती हैं. भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में यहाँ पढ़ें. इस स्वतंत्रता संग्राम में दो तरह के सेनानी हुआ करते थे,

पहले -: जो अंग्रेजों द्वारा किये जाने वाले अत्याचारों का जवाब उन्हीं की तरह खून – खराबा करके देना चाहते थे, इनमें प्रमुख थे -: चंद्रशेखर आज़ाद,सरदार भगत सिंह, आदि. 

दूसरे तरह के सेनानी थे -: जो इस खूनी मंज़र के बजाय शांति की राह पर चलकर देश को आज़ादी दिलाना चाहते थे, इनमें सबसे प्रमुख नाम हैं-: महात्मा गांधी का. उनके इसी शांति, सत्य और अहिंसा का पालन करने वाले रवैये के कारण लोग उन्हें महात्मा’ संबोधित करने लगे थे. आइये हम इस महात्मा के बारे में और भी जानकारियां साझा करते हैं -:

महात्मा गांधी की जीवनी (Mahatma Gandhi Short Biography In Hindi)

आइये हम इस महात्मा के बारे में और भी जानकारियां साझा करते हैं -:

नाममोहनदास करमचंद गांधी
पिता का नामकरमचंद गांधी
माता का नामपुतलीबाई
जन्म दिनांक2 अक्टूबर,
जन्म स्थानगुजरात के पोरबंदर क्षेत्र में
राष्ट्रीयताभारतीय
धर्महिन्दू
जातिगुजराती
शिक्षाबैरिस्टर
पत्नि का नामकस्तूरबाई माखंजी कपाड़िया [कस्तूरबा गांधी]
संतान बेटा बेटी का नाम4 पुत्र -: हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
मृत्यु30 जनवरी
हत्यारे का नामनाथूराम गोडसे
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महात्मा गांधीका जन्म, जाति, परिवार, पत्नी, बेटे (Mahatma Solon Birth, Caste, Family, Wife, Son)

महात्मा गांधी का जन्म भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर क्षेत्र में हुआ था. उनके पिता श्री करमचंद गांधी पोरबंदर के ‘दीवान’ थे और माता पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थी. गांधी जी एक गुजराती परिवार से संबंध रखते थे. इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था. महात्मा गांधी जी के 4 बेटे थे हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास.

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महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन (Mahatma Gandhi At Life)

गांधीजी के जीवन में उनकी माता का बहुत अधिक प्रभाव रहा. उनका विवाह 13 वर्ष की उम्र में ही हो गया था और उस समय कस्तूरबा 14 वर्ष की थी.नवंबर, सन में उन्होंने अपनी मेट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण [पास] कर ली थी और जनवरी, सन में उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया था और यहाँ से डिग्री प्राप्त की. इसके बाद वे लंदन गये और वहाँ से बेरिस्टर बनकर लौटे.

महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा (South Continent Visit)

सन में किसी क़ानूनी विवाद के संबंध में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गये थे और वहाँ होने वाले अन्याय के खिलाफ ‘अवज्ञा आंदोलन [Disobedience Movement]’ चलाया और इसके पूर्ण होने के बाद भारत लौटे.

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महात्मा गांधी का भारत आगमन और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना (Return to India and Participation in Emancipation Struggle)

सन में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौटे और फिर हमारे देश की आज़ादी के लिए अपने कदम उठाना शुरू किया. सन में कांग्रेस लीडर बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के बाद गांधीजी ही कांग्रेस के मार्गदर्शक थे.  

सन – के बीच जो प्रथम विश्व युध्द [1st World War] हुआ था, उसमें गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार को इस शर्त पर पूर्ण सहयोग दिया, कि इसके बाद वे भारत को आज़ाद कर देंगे. परन्तु जब अंग्रेजों ने ऐसा नहीं किया, तो फिर गांधीजी ने देश को आज़ादी दिलाने के लिए बहुत से आंदोलन चलाये. इनमें से कुछ आंदोलन निम्नानुसार हैं -:

  • सन में -: असहयोग आंदोलन [Non Co-operation Movement],
  • सन में -: अवज्ञा आंदोलन [Civil Recalcitrance Movement],
  • सन में भारत छोड़ो आंदोलन [Quit Bharat Movement].

वैसे तो गांधीजी का संपूर्ण जीवन ही एक आंदोलन की तरह रहा. परन्तु उनके द्वारा मुख्य रूप से 5 आंदोलन चलाये गये, जिनमें से 3 आंदोलन संपूर्ण राष्ट्र में चलाये गए और बहुत सफल हुए और इसलिए लोग इनके बारे में जानकारी भी रखते हैं. गांधीजी द्वारा चलाये गये इन सभी आन्दोलनों को हम निम्न प्रकार से वर्गीकृत कर सकते हैं -:

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महात्मा गांधी आंदोलन लिस्ट (सूची) (Mahatma Solon Movement List)

इन सभी आंदोलनों का वर्षानुसार  वर्णन निम्न प्रकार से दिया जा रहा हैं -:

सन में : (चंपारन और खेड़ा सत्याग्रह)

गांधीजी द्वारा सन में चलाया गया ‘चंपारन और खेड़ा सत्याग्रह’ भारत में उनके आंदोलनों की शुरुआत थी और इसमें वे सफल रहे. ये सत्याग्रह ब्रिटिश लैंडलॉर्ड के खिलाफ चलाया गया था. इन ब्रिटिश लैंडलॉर्ड द्वारा भारतीय किसानों को नील [indigo] की पैदावार करने के लिए जोर डाला जा रहा था और इसी के साथ हद तो यह थी कि उन्हें यह नील एक निश्चित कीमत पर ही बेचने के लिए भी विवश किया जा रहा था और भारतीय किसान ऐसा नहीं चाहते थे. तब उन्होंने महात्मा गांधी की मदद ली. इस पर गांधीजी ने एक अहिंसात्मक आंदोलन चलाया और इसमें सफल रहे और अंग्रेजों को उनकी बात मानना पड़ी.

इसी वर्ष खेड़ा नामक एक गाँव, जो गुजरात प्रान्त में स्थित हैं, वहाँ बाढ़ [flood] आ गयी और वहाँ के किसान ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाये जाने वाले टैक्स भरने में असक्षम हो गये. तब उन्होंने इसके लिए गांधीजी से सहायता ली और तब गांधीजी ने ‘असहयोग [Non-cooperation]’ नामक हथियार का प्रयोग किया और किसानों को टैक्स में छूट दिलाने के लिए आंदोलन किया. इस आंदोलन में गांधीजी को जनता से बहुत समर्थन मिला और आखिरकार मई, में ब्रिटिश सरकार को अपने टैक्स संबंधी नियमों में किसानों को राहत देने की घोषणा करनी पड़ी.

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन

सन में : खिलाफत आंदोलन (Khilafat Movement)

सन में गांधीजी को इस बात का एहसास होने लगा था कि कांग्रेस कहीं न कहीं कमज़ोर पड़ रही हैं तो उन्होंने कांग्रेस की डूबती नैया को बचाने के लिए और साथ ही साथ हिन्दू – मुस्लिम एकता के द्वारा ब्रिटिश सरकार को बाहर निकालने के लिए अपने प्रयास शुरू किये. इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वे मुस्लिम समाज के पास गये. खिलाफत आंदोलन वैश्विक स्तर पर चलाया गया आंदोलन था, जो मुस्लिमों के कालिफ [Caliph] के खिलाफ चलाया गया था. महात्मा गांधी ने संपूर्ण राष्ट्र के मुस्लिमों की कांफ्रेंस [All India Muslim Conference] रखी और वे स्वयं इस कांफ्रेंस के प्रमुख व्यक्ति भी थे. इस आंदोलन ने मुस्लिमों को बहुत सपोर्ट किया और गांधीजी के इस प्रयास ने उन्हें राष्ट्रीय नेता [नेशनल लीडर] बना दिया और कांग्रेस में उनकी खास जगह भी बन गयी. परन्तु सन में खिलाफत आंदोलन बुरी तरह से बंद हो गया और इसके बाद गांधीजी अपने संपूर्ण जीवन हिन्दू मुस्लिम एकता’ के लिए लड़ते रहे, परन्तु हिन्दू और मुस्लिमों के बीच दूरियां बढ़ती ही गयी.

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सन में : असहयोग आंदोलन (Non Co-operation Movement)

विभिन्न आंदोलनों से निपटने के लिए अंग्रेजी सरकार ने सन में रोलेट एक्ट [Rowlett Act] पारित किया. इसी दौरान गांधीजी द्वारा कुछ सभाएं भी आयोजित की गयी और उन्हीं सभाओं की तरह ही अन्य स्थानों पर भी सभाओं का आयोजन किया गया. इसी प्रकार की एक सभा पंजाब के अमृतसर क्षेत्र में जलियांवाला बाग में बुलाई गयी थी और वहाँ इस शांति सभा को अंगेजों ने जिस बेरहमी के साथ रौंदा था, उसके विरोध में गांधीजी ने सन में असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया. इस असहयोग आंदोलन का अर्थ ये था कि भारतीयों द्वारा अंग्रेजी सरकार की किसी भी प्रकार से सहायता ना की जाये. परन्तु इसमें किसी भी तरह की हिंसा नहीं हो.

विस्तृत वर्णन (Description in Detail)

यह आंदोलन सितम्बर, से शुरू हुआ और फेब्रुअरी, तक चला था. गांधीजी द्वारा चलाये गये 3 प्रमुख आंदोलनों में से यह पहला आंदोलन था. इस आंदोलन को शुरू करने के पीछे महात्मा गांधी की ये सोच थी कि भारत में ब्रिटिश सरकार केवल इसीलिए राज कर पा रही है, क्योंकि उन्हें भारतीय लोगों द्वारा ही सपोर्ट किया जा रहा हैं, तो अगर उन्हें ये सपोर्ट मिलना ही बंद हो जाये, तो ब्रिटिश सरकार के लिए भारतीयों पर राज कर पाना मुश्किल होगा, इसलिए गांधीजी ने लोगों से अपील की कि वे ब्रिटिश सरकार के किसी भी काम में सहयोग न करें, परन्तु इसमें किसी भी प्रकार की हिंसात्मक गतिविधि शामिल न हो. लोगों को गांधीजी की बात समझ में आयी और सही भी लगे. लोग बहुत बड़ी मात्रा में, बल्कि राष्ट्रव्यापी [Nationwide] स्तर पर आंदोलन से जुड़ें और ब्रिटिश सरकार को सहयोग करना बंद कर दिया. इसके लिए लोगों ने अपनी सरकारी नौकरियां, फेक्ट्री, कार्यालय, आदि छोड़ दिए. लोगों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों और कॉलेजों से निकाल लिया. अर्थात् हर वो प्रयास किया, जिससे अंग्रेजों को किसी भी प्रकार की सहायता ना मिले. परन्तु इस कारण बहुत से लोग गरीबी और अनपढ़ होने जैसी स्थिति में पहुँच गये थे, परन्तु फिर भी लोग ये सब अपने देश की आज़ादी के लिए सहते रहे. उस समय कुछ ऐसा माहौल हो गया था कि शायद हमें तभी आज़ादी मिल जाती. परन्तु आंदोलन की चरम स्थिति पर गांधीजी ने ‘चौरा – चौरी’ नामक स्थान पर हुई घटना के कारण इस आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय ले लिया.

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चौरा – चौरी कांड (Chaura Chauri incident)

चूँकि ये असहयोग आंदोलन संपूर्ण देश में अहिंसात्मक तरीके से चलाया जा रहा था, तो इस दौरान उत्तर प्रदेश राज्य के चौरा चौरी नामक स्थान पर जब कुछ लोग शांतिपूर्ण तरीके से रैली निकाल रहे थे, तब अंग्रेजी सैनिकों ने उन पर गोलियां चला दी और कुछ लोगों की इसमें मौत भी हो गयी. तब इस गुस्से से भरी भीड़ ने पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और वहाँ उपस्थित 22 सैनिकों की भी हत्या कर दी. तब गांधीजी का कहना था कि “हमें संपूर्ण आंदोलन के दौरान किसी भी हिंसात्मक गतिविधि को नहीं करना था, शायद हम अभी आज़ादी पाने के लायक नहीं हुए हैं” और इस हिंसात्मक गतिविधि के कारण उन्होंने आंदोलन वापस ले लिया.

सन में : सविनय अवज्ञा आंदोलन / नमक सत्याग्रह आंदोलन Record दांडी यात्रा [Civil Disobedience Movement Archives Salt Satyagrah Movement / Dandi March)

सन में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ़ एक ओर आंदोलन की शुरुआत की. इस आंदोलन का नाम था -: सविनय अवज्ञा आंदोलन [Civil Raction Movement]. इस आंदोलन का उद्देश्य यह था कि ब्रिटिश सरकार द्वारा जो भी नियम कानून बनाये जाये, उन्हें नहीं मानना और उनकी अवहेलना करना. जैसे -: ब्रिटिश सरकार ने कानून बनाया था कि कोई भी नमक नहीं बनाएगा, तो 12 मार्च, सन को उन्होंने इस कानून को तोड़ने के लिए अपनी ‘दांडी यात्रा’ शुरू की. वे दांडी नामक स्थान पर पहुंचे और वहाँ जाकर नमक बनाया था और इस प्रकार यह आंदोलन भी शांतिपूर्ण ढंग से ही चलाया गया. इस दौरान कई लीडर और नेता ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार किये गये थे.

विस्तृत वर्णन (Description in Detail)

गांधीजी द्वारा नमक सत्याग्रह की शुरुआत 12 मार्च, सन को गुजरात के अहमदाबाद शहर के पास स्थित साबरमती आश्रम से की गयी और यह यात्रा 5 अप्रैल, सन तक गुजरात में ही स्थित दांडी नामक स्थान तक चली. यहाँ पहुंचकर गांधीजी ने नमक बनाया और यह कानून तोडा और इस प्रकार राष्ट्रव्यापी  अवज्ञा आंदोलन [Civil Raction Movement] की शुरुआत हुई. यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण चरण था. यह ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक बनाये जाने के एकाधिकार [Monopoly] पर सीधा प्रहार था और इसी घटना के बाद यह आंदोलन संपूर्ण देश में फ़ैल गया था. इसी समय अर्थात् 26 जनवरी, सन को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ‘पूर्ण स्वराज’ की भी घोषणा कर दी थी. महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा 24 दिनों में पूरी की और इस दौरान उन्होंने साबरमती से दांडी तक लगभग मील [ कि. मी.] की दूरी तय की थी. यहाँ उन्होंने बिना किसी टैक्स का भुगतान किये नमक बनाया. इस यात्रा की शुरुआत में उनके साथ 78 स्वयंसेवक [Volunteers] थे और यात्रा के अंत तक यह संख्या हजारों हो गयी थी. यहाँ वे 5 अप्रैल, सन को पहुंचे और यहाँ पहुंचकर उन्होंने इसी दिन सुबह बजे उन्होंने नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अहिंसात्मक सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की और इसे भी हजारों भारतीयों ने मिलकर सफल बनाया.

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यहाँ नमक बनाकर महात्मा गांधी ने अपनी यात्रा जारी रखी और यहाँ से वे दक्षिण की ओर के समुद्र तटों की ओर बढ़े. इसके पीछे उनका उद्देश्य इन समुद्री तटों पर नमक बनाना तो था ही, साथ ही साथ वे कई सभाओं को संबोधित करने का भी कार्य कर रहे थे. यहाँ उन्होंने धरसाना [Dharasana] नामक स्थान पर भी ये कानून तोड़ा था. 4 – 5 मई, सन अर्द्धरात्रि [midnight] को गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया. उनकी गिरफ्तारी और इस सत्याग्रह ने पूरे विश्व का ध्यान भारत के स्वतंत्रता संग्राम की ओर खींचा. ये सत्याग्रह पूरे वर्ष चला और गांधीजी की जेल से रिहाई के साथ ही ख़त, हुआ और वो भी इसीलिए क्योंकि द्वितीय गोल मेज सम्मेलन [Second Round Table Conference] के समय वायसराय लार्ड इर्विन नेगोसिएशन के लिए राजी हो गये थे. इस नमक सत्याग्रह के कारण लगभग 80, लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

गांधीजी द्वारा चलाया गया यह नमक सत्याग्रह उनके अहिंसात्मक विरोध &#; के सिद्धांत पर आधारित था. इसका शाब्दिक अर्थ हैं &#; सत्य का आग्रह : सत्याग्रह. कांग्रेस ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए सत्याग्रह को अपना हथियार बनाया और इसके लिए गांधीजी को प्रमुख नियुक्त किया. इसी के तहत धरसाना में जो सत्याग्रह हुआ था, उसमें अंग्रेजी सैनिकों ने हजारों लोगों को मार दिया था, परन्तु अंततः इसमें गांधीजी की सत्याग्रह नीति कारगर सिद्ध हुई और अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा. इस सत्याग्रह का अमेरिकन एक्टिविस्ट मार्टिन लूथर, जेम्स बेवल, आदि पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा, जो सन के समय में रंग – भेद नीति [काले और गोरे लोगों में भेदभाव] और अल्पसंख्यकों [माइनॉरिटी] के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे. जिस तरह ये सत्याग्रह और अवज्ञा आंदोलन फ़ैल रहा था, तो इसे सही मार्गदर्शन के लिए मद्रास में राजगोपालाचारी और उत्तर भारत में खान अब्दुल गफ्फार खान को इसकी बागडोर सौपी गयी.

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सन में : भारत छोड़ो आंदोलन (Quit Bharat Movement)

के दशक [Decade] तक आते – आते भारत की आज़ादी के लिए देश के बच्चे, बूढ़े और जवान सभी में जोश और गुस्सा भरा पड़ा था. तब गांधीजी ने इसका सही दिशा में उपयोग किया और बहुत ही बड़े पैमाने पर सन में भारत छोड़ो आंदोलन  [Quit India Movement] की शुरुआत की. यह आंदोलन अब तक के सभी आंदोलनों में सबसे अधिक प्रभावी रहा. यह अंग्रेजी सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी.

विस्तृत वर्णन (Description on the run Detail)

सन में महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया तीसरा बड़ा आंदोलन था -: भारत छोड़ो आंदोलन. इसकी शुरुआत महात्मा गांधी ने अगस्त, सन में की गयी थी. परन्तु इसके संचालन में हुई गलतियों के कारण यह आंदोलन जल्दी ही धराशायी [collapsed] हो गया अर्थात यह आंदोलन सफल नहीं हो सका था. इसके असफल होने के पीछे कई कारण थे, जैसे -: इस आंदोलन में विद्यार्थी, किसान, आदि सभी के द्वारा हिस्सा लिया जा रहा था और उनमें इस आंदोलन को लेकर बड़ी लहर थी और आंदोलन संपूर्ण देश में एक साथ शुरू नहीं हुआ अर्थात् आंदोलन की शुरुआत अलग – अलग तिथियों पर होने से इसका प्रभाव कम हो गया, इसके अलावा बहुत से भारतीयों को ऐसा भी लग रहा था कि यह स्वतंत्रता संग्राम का चरम हैं और अब हमें आज़ादी मिल ही जाएगी और उनकी इस सोच ने आंदोलन को कमजोर कर दिया. परन्तु इस आंदोलन से एक बात ये अच्छी हुई कि इससे ब्रिटिश शासकों को यह एहसास हो गया था, कि अब भारत में उनका शासन नहीं चल सकता, उन्हें आज नहीं तो कल भारत छोड़ कर जाना होगा.

इस तरह गांधीजी द्वारा उनके जीवनकाल में चलाये गये सभी आंदोलनों ने हमारे देश की आज़ादी के लिए अपना सहयोग दिया और अपना बहुत गहरा प्रभाव छोड़ा.

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आंदोलनों की विशेषता (Keyfeatures of such movements)

महात्मा गांधी ने जितने भी आंदोलन किये, उन सभी में कुछ बातें एक समान थी, जिनका विवरण निम्नानुसार हैं -:

  • ये आंदोलन हमेशा शांतिपूर्ण ढंग से चलाये जाते थे.
  • आंदोलन के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसात्मक गतिविधि होने पर गांधीजी द्वारा वह आंदोलन रद्द कर दिया जाता था. यह भी एक कारण था कि हमें आज़ादी कुछ देर से मिली.
  • आंदोलन हमेशा सत्य और अहिंसा की नींव पर किये जाते थे.

अन्तराष्ट्रीय अहिंसा शांति दिवस पर भाषण 

महात्मा गांधी का सामाजिक जीवन (Social plainspoken of Mahatma Gandhi)

गांधीजी एक महान लीडर तो थे ही, परन्तु अपने सामाजिक जीवन में भी वे ‘सादा जीवन उच्च विचार ’ को मानने वाले व्यक्तियों में से एक थे. उनके इसी स्वभाव के कारण उन्हें लोग ‘महात्मा’ कहकर संबोधित करने लगे थे. गांधीजी प्रजातंत्र [Democracy] के बड़े भारी समर्थक थे. उनके 2 हथियार थे -: ‘सत्य और अहिंसा ’. इन्हीं हथियारों के बल पर उन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजाद कराया. गांधीजी का व्यक्तित्व कुछ ऐसा था कि उनसे मिलने पर हर कोई उनसे बहुत प्रभावित [इन्फ्लुएंस] हो जाता था.

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छुआछूत को दूर करना (Abolition of Untouchability)

गांधीजी ने समाज में फैली छुआछूत की भावना को दूर करने के लिए बहुत प्रयास किये. उन्होंने पिछड़ी जातियों को ईश्वर के नाम पर ‘हरि &#; जन’ नाम दिया और जीवन पर्यन्त उनके उत्थान के लिए प्रयासरत रहें.

महात्मा गांधी की मृत्यु, आयु हत्यारे का नाम (Age and Death of Mahatma Gandhi)

30 जनवरी सन को नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी गयी थी. उन्हें 3 गोलियां मारी गयी थी और उनके मुँह से निकले अंतिम शब्द थे -: ‘हे राम’. उनकी मृत्यु के बाद दिल्ली में राज घाट पर उनका समाधी स्थल बनाया गया हैं. महात्मा गांधी जी 79 साल की उम्र में वे सभी देश वासियों को अलविदा कहकर चले गए.

महात्मा गांधीपुस्तकें (Mahatma Gandhi Books)

  1. हिन्द स्वराज &#; सन में
  2. दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह &#; सन में
  3. मेरे सपनों का भारत
  4. ग्राम स्वराज
  5. &#;सत्य के साथ मेरे प्रयोग&#; एक आत्मकथा
  6. रचनात्मक कार्यक्रम &#; इसका अर्थ और स्थान

आदि और भी पुस्तकें महात्मा गांधी जी द्वारा लिखी गई थी.

गांधीजी की कुछ अन्य रोचक बातें (Some Interesting File about Gandhiji)

राष्ट्रपिता का ख़िताब (Father leave undone Nation)

महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता का ख़िताब भारत सरकार ने नहीं दिया, अपितु एक बार सुभाषचंद्र बोस ने उन्हें राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था. नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जीवन परिचय यहाँ पढ़ें.

  • गांधीजी की मृत्यु पर एक अंग्रेजी ऑफिसर ने कहा था कि “जिस गांधी को हमने इतने वर्षों तक कुछ नहीं होने दिया, ताकि भारत में हमारे खिलाफ जो माहौल हैं, वो और न बिगड़ जाये, उस गांधी को स्वतंत्र भारत एक वर्ष भी जीवित नहीं रख सका.”
  • गांधीजी ने स्वदेशी आंदोलन भी चलाया था, जिसमें उन्होंने सभी लोगो से विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने की मांग की और फिर स्वदेशी कपड़ों आदि के लिए स्वयं चरखा चलाया और कपड़ा भी बनाया.
  • गांधीजी ने देश – विदेश में कुछ आश्रमों की भी स्थापना की, जिनमें टॉलस्टॉय आश्रम और भारत का साबरमती आश्रम बहुत प्रसिद्द हुआ.
  • गांधीजी आत्मिक शुद्धि के लिए बड़े ही कठिन उपवास भी किया करते थे.
  • गांधीजी ने जीवन पर्यन्त हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए प्रयास किया.
  • 2 अक्टूबर को गांधी जी जन्मदिवस पर समस्त भारत में गांधी जयंती मनाई जाती है.

इस प्रकार गांधीजी बहुत ही महान व्यक्ति थे. गांधीजी ने अपने जीवन में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये, उनकी ताकत ‘सत्य और अहिंसा’ थी और आज भी हम उनके सिद्धांतों को अपनाकर समाज में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं.

FAQ

Q : महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ ?

Ans : 2 अक्टूबर को

Q : महात्मा गांधी कौन सी जात के थे ?

Ans : गुजराती

Q : महात्मा गांधी के अध्यात्मिक गुरु कौन थे ?

Ans : श्रीमद राजचंद्र जी

Q : महात्मा गांधी की बेटी का नाम क्या था ?

Ans : राजकुमारी अमृत

Q : महात्मा गांधी ने देश के लिए क्या किया ?

Ans : भारत को आजादी दिलाने में विशेष योगदान रहा था.

Q : महात्मा गांधी का जन्म कहां हुआ था ?

Ans : गुजरात के पोरबंदर में हुआ था.

Q : महात्मा गांधी की मृत्यु कब हुई ?

Ans : 30 जनवरी को

Q : महात्मा गांधी ने कौन सी पुस्तक लिखी थी ?

Ans : हिन्द स्वराज : सन में

Q : महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई आत्मकथा क्या है ?

Ans : सत्य से संयोग नामक आत्मकथा महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई है.

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